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गुणात्मक वृद्धि की गति अन्तर पैदा करती है।

गति मायने रखती है क्योंकि हमारा अनंत काल हम जिसे "जीवन" कहते है उस छोटे समय में निर्धारित होता है। परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि परमेश्वर हमारे प्रति धीरज रखता है - वह चाहता है की किसी का नाश न हो, लेकिन हर कोई पीछे मुड़कर उसका अनुसरण करें। परमेश्वर हमें अधिक समय देता है क्योंकि वह जानता है कि हमारे पास केवल थोड़ा ही समय है वह सारी चीजों को पूरा करने के लिए जिसके लिए उसने हमें बुलाया है और उन सभी तक पहुंचने के लिए जिन तक पहुंचने के लिए उसने हमें बुलाहट दी है।  यीशु का और अधिक निकटता से अनुसरण करने के लिए, हमें उसके लोगों का और अधिक तेज़ी से पीछा करना होगा। हमें सिर्फ अपना समय ही नहीं देना है। हमें अपनी गति बढ़ानी होगी।  

इस वीडियों को देखें

हालांकि चर्च आकार में बड़ा होता है और दुनिया की आबादी की तुलना में पहले से कहीं अधिक अनुपात में है, फिर भी हम जनसंख्या वृद्धि की दर के साथ बनाए रखने में विफल रहे हैं। इसका मतलब यह है कि आज पहले की तुलना में कहीं अधिक खोए हुए लोग जीवित हैं। यह यथास्थिति स्वीकार्य नहीं है।

यही एक कारण है कि शिष्यों को गुणात्मक रीती से बढ़ना इतना महत्वपूर्ण है। वास्तव में नियमित रूप से गुणात्मक रीती से बढ़नेवाले शिष्यों का प्रतिशत बेहद महत्वपूर्ण है।

उदाहरण के लिए, दस वर्ष की अवधि के उदाहरण को देखें। मान लें कि आप एक शिष्य के साथ शुरू करते हैं जो हर 18 महीने में एक नए शिष्य को जोड़ता है। नए शिष्य भी वही करते हैं। दस वर्षों में, आपके पास 64 शिष्य होंगे। 

अगर इसके बजाए, वह एक शिष्य और वे नए शिष्य हर 4 महीने में शिष्य बनाते हैं, तो दस वर्षों में आपके पास एक अरब से अधिक शिष्य होंगे। दूसरे शब्दों में, दस साल की अवधि में, औसत बढ़ने का दर 18 महीने से 4 महीने तक बदलने का मतलब यह नहीं है कि परिणाम साढ़े चार गुना तेज है। यह 15 मिलियन गुना अधिक तेज है।

यह इस तथ्य के कारण संभव है कि एक नया शिष्य जो वह सीख रहा है उसे उसने सबसे पहले दूसरों के साथ साझा करना चाहिए। इसका मतलब यह है कि वे विश्वास में आते ही किसी और को मसीह की ओर अगुवाई कर सकते हैं। यह पैटर्न पूर्ण परिपक्वता प्रक्रिया के माध्यम से जारी रह सकता है यदि शिष्यों ने जो सीखा है वे उसका आज्ञापालन करने और साझा करने की दोहरी जवाबदेही के पैटर्न में जारी रखते हैं।

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