नेटवर्क्स में की लीडरशिप (नेतृत्व) अनुमती देती है साधारण चर्चेस के बढ़ते समूह को एक साथ काम करने, नए अगुवों को विकसित करने तथा उन और अधिक अच्छी चीजों को हासिल करने जिन्हें परमेश्वर ने उसके लोगों के लिए योजनाबद्ध की है। 

चर्चेस के साथ क्या होता है जब वे बढ़ते हैं और नए चर्चेस की शुरुआत करते हैं जो नए चर्चेस की शुरुआत करते है जो नए चर्चेस की शुरुआत करते है? वे कैसे जुड़े रहते हैं? एक विस्तारित आध्यात्मिक परिवार के रूप में वे एक साथ जीवन कैसे जीते हैं?

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जब आध्यात्मिक परिवार (यानी साधारण चर्च) बढ़ते हैं, तो संबंधित चर्चेस के नेटवर्क जल्द ही विकसित होते हैं। ये नेटवर्क तब शहर या क्षेत्रीय चर्च की तरह कार्य करते हैं।

यह इस शहर या क्षेत्रीय स्तर पर हम प्राचीनों (एल्डर्स) और डिकन्स (उपयाजक) को कार्य करते हुए देखते हैं। इसी स्तर पर लीडरशिप उपहार, जैसे कि प्रेरित, भविष्यद्वक्ता, सुसमाचार प्रचारक, चरवाह (पास्टर) और शिक्षक भी कार्य करते हैं। यह लीडरशिप उपहार सभी शिष्यों को सेवकाई में अधिक प्रभावी होने को तैयार करने के प्राथमिक लैस करनेवाले उपहार हैं। यह अगुवे और साथ ही प्राचीन (एल्डर्स) और डिकन्स (उपयाजक) एक बड़ी संख्या के आध्यात्मिक परिवारों की सेवा कर सकते हैं। हम पवित्रशास्त्र में इसी पैटर्न को देखते हैं, उदाहरण के लिए यरूशलेम के चर्च के डिकन्स (उपयाजक) के साथ या इफिसियों के चर्च के प्राचीनों (एल्डर्स) के साथ।

इस प्रकार की संरचना वृहद स्तर पर उसी पैटर्न का उपयोग करती है जैसा कि सूक्ष्म स्तर पर आध्यात्मिक परिवारों में दिखाई देता है। 3/3 पैटर्न लीडरशिप प्रशिक्षण बैठकों और सहकर्मी सलाह सत्रों में स्पष्ट है। चार फील्ड्स पैटर्न का उपयोग उच्च स्तर पर योजना, मूल्यांकन और कोचिंग के लिए किया जाता है। मुख्य समायोजन यह है कि आवेदन पत्र (एप्लीकेशन) व्यक्तिगत के बजाय कॉर्पोरेट होते हैं। बैठक में प्रतिनिधित्व किए गए पैमाने पर लक्ष्यों और गतिविधियों को निर्धारित किया जाता है।

आमतौर पर जिस क्षेत्र में नेटवर्क शुरू होता है वह नेतृत्व की दृष्टि से केंद्रीय बन जाता है। जैसा कि उस नेटवर्क का प्रभाव फैलता है, यह वास्तव में मूल चर्च के नीचे के स्तरों में जुड़ जाता है। उदाहरण के लिए, यदि ताम्पा में एक चर्च नेटवर्क शुरू होता है, तो वह ताम्पा में एक सिटी चर्च के रूप में पहले कार्य करेगा। जैसे ही उसका प्रभाव फ्लोरिडा राज्य में फैलता है, तब यह एक राज्य चर्च के रूप में कार्य करेगा और उसकी विभिन्न शहरों और काउंटीज में चर्च शाखाएं होंगी। जैसे-जैसे यह बढ़ता रहेगा यह राष्ट्रीय स्तर पर और यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कार्य करना शुरू कर देगा। दुनिया भर के विभिन्न राज्यों और देशों में इस चर्च की विभिन्न शाखाएं होंगी। ये चर्च उनके सामान्य डीएनए और वंश होने के कारण जुड़े रहते हैं।

यदि कुछ शाखाएं सुविधा, भाषा या अन्य कारकों के कारण उनके स्वयं के नेटवर्क में विभाजित हो जाती हैं, तो यह कोई समस्या नहीं है। यदि डीएनए को सफलतापूर्वक पारित कर दिया गया है, तो गुणात्मक रीती से बढ़नेवाले शिष्यों की एक नई गतिविधि को स्थापित करने के लिए आवश्यक हर चीज प्रत्येक आध्यात्मिक परिवार या यहां तक कि आध्यात्मिक परिवार के प्रत्येक सदस्य में मौजूद है।

आमतौर पर, प्रत्येक चर्च छोटा होता है, जिसमें उनके बच्चों के साथ 4 से 12 वयस्क होते हैं। वे आपस में जुड़े हुए होते हैं, हालांकि किशोरवयीन बच्चें उनके साथियों के बीच अगर उनकी इच्छा हो तो चर्चेस शुरू कर सकते हैं। यह छोटा आकार रिश्तों को और अधिक घनिष्ठ बनाने, अधिक प्रभावी होने के लिए जवाबदेही और पूर्ण होने की भागीदारी को संभव बनाता है।

उन लोगों के लिए डिफ़ॉल्ट पैटर्न जो मसीह में आते हैं या जो पहले से ही मसीह का अनुसरण करते हैं, लेकिन एक नए क्षेत्र में जा रहे हैं जहां वे मौजूदा चर्च में शामिल नहीं होते है, बल्कि एक नया आध्यात्मिक परिवार शुरू करने के लिए सुसज्जित होते है, जो फिर नेटवर्क में जुड़ जाता है। इस तरह, आध्यात्मिक परिवारों को बहुत छोटा रखा जा सकता है जो शिष्य बनाने में बहुत फलदायी और प्रभावी हैं। फिर से, यह छोटा आकार रिश्तों को और अधिक घनिष्ठ बनाने, अधिक प्रभावी होने के लिए जवाबदेही और पूर्ण होने की भागीदारी को संभव बनाता है।

परमेश्वर के वचन को सीखने, पालन करने और साझा करने के लिए साधारण चर्चेस और व्यक्तिगत अनुयायियों की इच्छा किसी गतिविधि का आध्यात्मिक डीएनए है। यदि इसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी, चर्च से चर्च और विश्वासियों से विश्वासियों तक सफलतापूर्वक पारित किया जाता है, तो शिष्यों की गुणात्मक वृद्धि करने की एक नई गतिविधि शुरू करने के लिए आवश्यक सब कुछ पहले से ही प्रत्येक आध्यात्मिक परिवार और यीशु के प्रत्येक अनुयायी में मौजूद है।

जब गतिविधियों से गतिविधियों की शुरूआत होती है, तब हम शहर या राज्य या यहां तक कि एक राष्ट्र के आटे में "खमीर" को कार्य करते हुए देखते हैं। इस प्रकार, परमेश्वर का राज्य इस तरह से आता है कि परमेश्वर की इच्छा पृथ्वी पर पूरी होती है जैसे वह स्वर्ग में होती है।

इसी तरह हम सभी राष्ट्रों के चेले बनाकर महान आदेश को पूरा कर सकते हैं।

 

 

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